Thursday, September 11, 2014

प्रिय मित्रों ,
          हिंदी विकास समिति(संत लोंगोवाल अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान  इकाई) के सौजन्य  से दिनांक १२-०९-२०१४ को रचनात्मक लेखनी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है .
अतः आप सभी अपना अपना योगदान देकर इस कार्यक्रम को सफल बनाएं .

अधिक जानकारी के लिए
शुभाशीष -०९४१८५३४६९
मुनेश कुमार सिंह (स्नातकोत्तर विद्यार्थी )
संत लोंगोवाल अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान
लोंगोवाल संगरूर (पंजाब) भारत

Sunday, September 7, 2014






प्रिय मित्रों ,
 आज मैं, आपको गत दिवस चर्चित विषय पर अपनी बातें स्पष्टरूपेण  आपके समक्ष रखता हूँ.
मैंने संस्कृत की मौलिकताओं के पतन के विषय में बातें कही चूँकि ये कहना उचित नहीं होगा कि हमारे समाज ने इस समस्या का समाधान नहीं निकाला , समाधान तो पहले भी थे और आज भी हैं.
उदहारण हेतु : किसी भी तकनीकि संस्थान अथवा विद्यालय/विश्वविद्यालयों के प्रमुख द्वार एवं प्रवेशिका पुस्तिका पर संस्कृत के कुछ श्लोकों के अंश संस्थान के प्रतीक चिन्ह के ऊपर ,नीचे या कलाकृतियों के साथ लिखा होता है .

आज संस्कृत का प्रयोग तो निश्चित होता है.लेकिन आज भी संस्कृत को जीवित रखने के लिए संस्कृत भाषा का प्रयोग अतिआवश्यक है.



आपका
मुनेश कुमार सिंह (स्नातकोत्तर विद्यार्थी)
संत लोंगोवाल अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान
लोंगोवाल ,संगरूर,(पंजाब) भारत :

Saturday, September 6, 2014

प्रिय साथियों,
 मेरा नाम मुनेश कुमार सिंह है, और मैं हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु ब्लॉग लिख रहा हूँ.
क्यूंकि किसी भी भाषा का विकास उसके प्रयोग से होता है. उदाहरण के लिए:प्राचीन समय में पूरे भारत में
संस्कृत बोली जाती थी . लेकिन आज संस्कृत का क्षण क्षण लोप हो रहा है . यद्यपि हमें  अपनी हिंदी भाषा को बचाना है तो हमे आगे बढ़कर इस समस्या के मूल को बचाना होगा और हिंदी भाषा का जन्म संस्कृत से है.

आपका
मुनेश कुमार सिंह (स्नातकोत्तर विद्यार्थी )
संत लोंगोवाल अभियांत्रिकी एवं प्रोद्योगिकी संस्थान
लोंगोवाल, संगरूर (पंजाब) भारत